आचार्य चतुसेन शास्त्री--वैशाली की नगरबधू-

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87. आत्मदान : वैशाली की नगरवधू राजमहालय के एक सुसज्जित कक्ष में सोमप्रभ शय्या पर पड़े थे। उनके घाव अब भर गए थे, परन्तु दुर्बलता अभी थी । कुण्डनी उनकी शय्या ...

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